Wednesday 5 August 2015






 जिंदगी से शिकायते कुछ कम नही है।
पर क्या करूँ सिर्फ एक मेरा ही गम तो गम नहीं है।
सोचती हूँ सिर्फ मेरे ही साथ ऐसा होता है ,
दुनिया देखी  तो पाया , सबके साथ  ऐसा होता है सिर्फ हम नहीं है।
 माँ नही तो पापा सही,कुछ के पास तो दोनों नहीं है ,
खाने को दो वक़्त की रोटी और है अपना घर ,
कुछ भूखे पेट सोते है, तो कुछ को फुटपाथ भी नसीब नहीं है।
 इस मतलबी दुनिया में भी मेरे अपने मेरे पास है ,
ईमानदारी की हंसी है प्रेम भरा विश्वास है। परिवार में एकता है बड़ो का सम्मान है.
 जहाँ  हो ये सब वही तो आवास है।
शिकायते भूलकर करती हु तेरा शुक्रिया... जिंदगी
खुले दिल से स्वीकारती हु तुझे ,बस अब कोई गम नहीं है..............।
 

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