ये कैसी जगह ले आई है जिंदगी , जहाँ भटकती राहों को मंजिल मिल गयी।
हर पल है जैसे खुशनुमा सपना, मैं मीरा सी दीवानी बन गयी।
और उस खुदा से कुछ न चाहिए , इतनी ख़ुशी मिली के दुनिया जन्नत बन गयी।
उस अजनबी शख्स के प्रथम स्पर्श से , एक नयी पहचान मिल गयी।
आँखों में पले सपने हकीकत बन गए , यकीन नहीं आता कि आज मैं ''दुल्हन ''बन गयी।