Thursday, 23 July 2015

जिंदगी का हर पल खूबसूरत है ,  जीकर तो देखो।
हँसते मुस्कुराते गुजर जाएगी , एक कदम बढाकर तो देखो।
है कोई बोझ दिल में अगर , माँ-बाप से कह कर तो देखो।
उलझे रहते हो व्यर्थ के रिश्तो में , आस-पास नज़रे घुमाकर तो देखो।
नहीं है दोस्त कोई तो गम नही , भाई को दोस्त बनाकर तो देखो।
हल हो जाएगी समस्याएं चुटकी में , पिता को बताकर तो देखो।
गर दर्द  है कोई सीने में या कोई तकलीफ , माँ के  पहलू में जाकर तो देखो।
राह हो जाएगी आसान जिंदगी की , किसी को हमसफ़र बनाकर तो देखो।
रहते है माँ-बाप तुम्हारे साथ कहना छोड़ दो , हो तुम उनके साथ ये अहसास कराकर तो देखो।
मांगेगे हर जनम वो हम जैसी औलादे , है वो ख़ास उन्हें जताकर तो देखो।
न मिले स्वाद जब छप्पन भोग से ,  माँ के हाथों की रोटी खाकर तो देखो।
नहीं है उन्हें उम्मीदे ज्यादा दूर रहते बच्चो से , बस हर शाम फोन  घुमाकर तो देखो।
बढ़ जाएगी ताकत खुद-ब-खुद , टूटते बिखरते रिश्तों को सँवारकर तो देखो।
तरसता है खुद खुदा माँ -बाप के प्रेम के लिए , अपनी खुशनसीबी पर इतराकर  तो देखो।
नहीं है दौलत खर्चने के लिए तो कोई गम नहीं , मुस्कुराहट की दौलत  लुटाकर तो देखो।
मजा न आये जीने में तो कहना , बस  एक बार आजमाकर तो देखो।


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