वो शाम सुहानी वो दादी नानी ,गावं का आँगन और परियो की कहानी
बचपन बहुत याद आता है........।
वो दादी का घर वो नानी का घर, और हम सब का खेलना घर घर ,
बचपन बहुत याद आता है........।
वो चूरन की पुड़िया वो मीठी गोली ,और हम सब बच्चों की हंसी ठिठोली
बचपन बहुत याद आता है........।
वो आमों का बगीचा वो खेत - खलिहान ,लकड़ी की सीढ़ी और मचान
बचपन बहुत याद आता है........।
वो पहेली बूझना वो आम का चूसना ,सबकी नज़रे बचा कर दोपहरी में घूमना
बचपन बहुत याद आता है........।
खो गए जो दिन काश वो फिर से लौट आये , फिर कोई वो कहानी सुनाये थक गए हम बड़े बन कर, इसलिए बचपन बहुत याद आता है........।
बचपन बहुत याद आता है........।
वो दादी का घर वो नानी का घर, और हम सब का खेलना घर घर ,
बचपन बहुत याद आता है........।
वो गर्मी की छुटियाँ वो तपती गलियां ,वो दुपहरी में खेलना कंचे -कंचियांबचपन बहुत याद आता है........।
वो चूरन की पुड़िया वो मीठी गोली ,और हम सब बच्चों की हंसी ठिठोली
बचपन बहुत याद आता है........।
वो आमों का बगीचा वो खेत - खलिहान ,लकड़ी की सीढ़ी और मचान
बचपन बहुत याद आता है........।
वो पहेली बूझना वो आम का चूसना ,सबकी नज़रे बचा कर दोपहरी में घूमना
बचपन बहुत याद आता है........।
खो गए जो दिन काश वो फिर से लौट आये , फिर कोई वो कहानी सुनाये थक गए हम बड़े बन कर, इसलिए बचपन बहुत याद आता है........।
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