Friday, 26 June 2015

ek cup chhai

आज स्कूल जाते बच्चो को देखा, स्कूल यूनिफार्म में बहुत प्यारे लग रहे थे उन्हें देखकर अपने स्कूल के दिन याद आ गए। क्या दिन थे वो भी ……… जुलाई आते ही हर घर में बस पढाई ही पढाई का शोर शुरू हो जाता है, मम्मी पापा को स्कूल के खर्चो की टेंशन और बच्चो  को पढाई की। फिर से वही रूटीन सुबह जल्दी उठना, टीवी बंद , खेलना कूदना भी कम करना है...... बाप रे बाप कितना टेंशन होता था बच्चो को, लगता था की बड़े ही अच्छे होते उन्हें स्कूल तो नही जाना पड़ता कितनी जल्दी होती थी न बड़े होने की पर अब जब बड़े हो गए है तो लगता है काश.....  छोटे ही होते।
    मुझे  नई नई किताबो से आने वाली खुशबू बहुत अच्छी लगती थी , कितने सलीके से हर किताबो के ऊपर कवर लगाते थे और अपनी पसंदीदा नेमचिट, नई यूनिफार्म।,नये शूज़ सब कुछ नया नया, लगता था के जुलाई का महीना सिर्फ बच्चो के लिए ही बना है। मेरे लिए ये बारिश ये जुलाई का महीना तो और भी खास है ............. जब मैं  9 वीं क्लास में थी तब मेरा एडमिशन नए स्कूल में हुआ मेरी स्कूल घर से बहुत दूर थी, आने जाने मे बहुत थक जाती थी  एक दिन शाम को लौटते समय बारिश होने लगी और मैं भीग गयी।  घर आने पर मेरी मम्मी ने मुझे एक कप में चाय दी मेरी  ख़ुशी का तो ठिकाना ही न था। …………पता है क्यों? क्योकि उसके पहले कभी मम्मी ने हम भाई बबहनो को चाय नही दी थी। कहती थी की चाय बच्चो को नुक्सान पहुचती है और मुझे चाय पीने का बहुत शौक था पर मम्मी की वजह से नही मिलती थी कितनी भी मिन्नतें कर लूँ  पर मम्मी अपनी बात पर अड़ी रहती , पर उस दिन पता नही उनको क्या हुआ था ? कुछ भी हुआ हो मुझे क्या मेरी तो मन्नत पूरी हो गयी थी न , और चाय पीने में मगन थी।
  पापा ने पूछा  क्या बात है आज सूरज कहा से उगा है आज बिटिया को चाय मिल गयी ? मम्मी ने कहा की आज से हर शाम स्कूल से आने के बाद मिलेगी उसे 'एक कप चाय ' ., थक जाती है बेचारी स्कूल से आते आते।
        कसम से उस समय मुझे जितनी ख़ुशी हुयी थी मैं  बता नही सकती। तब से चाय मेरा कम्फर्ट ड्रिंक है मैं  उदास रहूँ  या गुस्सा या मुझे कोई भी तकलीफ हो चाय मेरा मूड ठीक कर देती है अब मम्मी मेरे पास तो नही है पर जब भी शाम को चाय पीती  हूँ तब उनकी याद आ जाती है।  और मेरे इस चाय प्रेम के बारे में सब जानते है मुझे गुस्सा आ रहा होता है तो मेरे भाई बोलते है के कोई दीदी को चाय तो पिला दो यार। हाहाहा………मेरे ऑफिस के लोग भी जानते है कि  मैं चाय की कितनी बड़ी शौक़ीन हूँ। 
      पर अब ससुराल आने के बाद मुझे चाय कम करने की हिदायत दी गयी है ,मेरी प्यारी सी चाय के बारे में कैसी कैसी अफवाह फैलाते है लोग। ……… मेरी प्यारी चाय ……तुम दुखी मत होना  मैंने तुमसे थोड़ी सी दूरी जरूर बना रखी है पर  तुम्हारा साथ नही छोड़ूगी  सुबह न सही पर शाम को एक कप चाय तो जरूर पियूँगी तुम तो मेरे और मेरी मम्मी के बीच की कड़ी हो.…।  वो बात अलग है मुझे मेरी मम्मी के हाथ की बनी चाय इस जनम में तो नही मिलेगी पर कुछ तो सहारा है न..........आई लव यू  तुम मेरी माँ की तरह मेरा ख्याल रखत्ती थी।

Thursday, 25 June 2015

meri saheli

मैं शिखा ……25  साल कि  एक लड़की। .......... एक ऐसी लड़की जिसकी कोई सहेली कोई बहन नही है.…… बड़ा अजीब लग रहा है न सुनने में, पर ये सच है  सालो पहले एक सहेली थी "मेरी मम्मी " जो अब इस दुनिया में नही है तब से आज तक  अकेली हूँ । और अब तो मैं ससुराल भी आ गयी हूँ  पर यहाँ भी वही हाल है न सास न ननद न ही देवरानी -जेठानी घर में कोई नही जिससे मैं  बात कर सकूँ । …और तो और मेरे ऑफिस में भी सिर्फ एक मैं ही लड़की बाकी लड़के। .... है न अजीब हर तरफ मैं लड़को से घिरी रहती हूँ ………। हाहाहा  पापा, भाई, पति, ससुर, देवर और ऑफिस के कलीग,भाइयों  के दोस्त  जो मुझे दीदी कहते है हर तरफ लड़के ही लडके। ……… कौन कहता है कि  लड़के बुरे होते है। ……… मुझे उनसे डर नही लगता बल्कि मैं कंफर्टेबल फील करती हूँ ,  वो मेरा ख्याल रखते है मुझे हंसाते  है मेरे मन की हर बात जान लेते है बिना मेरे कुछ कहे……मैं शॉपिंग करने भी उन्ही के साथ ही जाती हूँ । मैं अपनी हर छोटी से छोटी बाते उनसे शेयर करती हूँ  , वो मेरे बुरे जोक्स पर भी हंसते  है मुझ पर क्या अच्छा लगता है क्या नही सब कुछ मैं उनसे ही जान पाती हूँ  कहने को तो मेरे भाई मुझसे बहुत छोटे है पर हर गलती पर बिलकुल माँ की तरफ समझाइश देते है  मुझे एक माँ की कमी महसूस होती है पर' एक सहेली' की कमी बिलकुल भी नही खलती।